Saturday, 17 September 2016

मशहूर रैपर गायक क्विन गेट्स और उनकी पत्नी मुसलमान हुए

मशहूर रैपर गायक क्विन गेट्स और उनकी पत्नी ने, अल्हम्दुलिल्लाह ,जो पिछले साल ही मुसलमान हुए हैं, इस साल हज किया है।

http://myzavia.com/2016/09/14/वीडियो-अमरीकी-रैपर-क्वि/

Friday, 16 September 2016

सऊदी अरब में ब्रिटिश राजदूत के बाद अब 1600 चीनी कर्मचारियों ने अपनाया इस्लाम


Kohram Hindi News

Home  ब्रेकिंग न्यूज़

सऊदी अरब में ब्रिटिश राजदूत के बाद अब 1600 चीनी कर्मचारियों ने अपनाया इस्लाम

September 15, 2016

हाल ही में सऊदी अरब से ब्रिटिश राजनायिक और उनकी पत्नी के इस्लाम अपनाने की खबर आई थी कि अब 1600 चीनी कर्मचारियों के इस्लाम कबूल करने की खबर आई है.

मक्का के 6.7 अरब के मेट्रो रेलवे स्टेशन के प्रोजेक्ट निर्माण कार्य में शामिल इस्लाम कबूल करने वाले ये  1600 चीनी कर्मचारी वर्किंग वीजा लेकर मक्का में काम कर रहे थे. यह प्रोजेक्ट 3 साल पहले ही शुरू किया गया था.

इस्लाम कबुलने वाले सभी कर्मचारियों को ईद के पाक मौके पर एक स्वागत समारोह में तोहफे भी दिए गए हैं. गौरतलबी रहें कि ब्रितानी राजदूत साइमन पॉल कोलिस और उनकी पत्नी हुदा मुजारकेश के इस्लाम अपनाने के साथ इस वर्ष हज भी अदा किया हैं.

राजदूत साइमन कोलिस

सऊदी अरब की राजकुमारी बाशमाह ने राजदूत कोलिस को इस्लाम अपनाने पर बधाई दी और ट्वीट किया कि, “राजदूत और उनकी पत्नी को विशेष शुभकामनाएं.” इसके जवाब में उन्होंने राजकुमारी बाशमाह का शुक्रिया अदा किया.

Thursday, 15 September 2016

अल्लाहु_अकबर

#अल्लाहु_अकबर

सऊदी अरब में तैनात ब्रिटिश राजदूत  साइमन कॉलिज़ ने इस्लाम कब़ूल कर लिया ,और अपनी ज़ौजा (बीवी) मोहतरमा सैय्यदा हदी़ के साथ इसी साल हज भी अदा कर लिया, #अल्लाह_सुब्हानाहु_तआला के रहमो करम से। #सुब्हान__अल्लाह

#साइमन_कॉलिज़ 1978 में ब्रिटिश विदेश मंत्रालय से जुड़े हुए थे ।
#बहरीन, कतर, #इराक, ओमान आदि में 30 साल तक अपने देश के लिए सेवा करते रहे इसकेे बाद जनवरी 2015 में साइमन कॉलिज़ को सऊदी अरब में ब्रिटिश राजदूत बना दिया गया था ।
और इस साल हज के महीने मे साइमन कॉलिज़ ने इस्लाम कब़ूल कर लिया।
#सुब्हान_अल्लाह

Msaha Allah

अल्लाहु_अकबर

सऊदी अरब में तैनात ब्रिटिश राजदूत  साइमन कॉलिज़ ने इस्लाम कब़ूल कर लिया ,और अपनी ज़ौजा (बीवी) मोहतरमा सैय्यदा हदी़ के साथ इसी साल हज भी अदा कर लिया, #अल्लाह_सुब्हानाहु_तआला के रहमो करम से। #सुब्हान__अल्लाह

#साइमन_कॉलिज़ 1978 में ब्रिटिश विदेश मंत्रालय से जुड़े हुए थे ।
#बहरीन, कतर, #इराक, ओमान आदि में 30 साल तक अपने देश के लिए सेवा करते रहे इसकेे बाद जनवरी 2015 में साइमन कॉलिज़ को सऊदी अरब में ब्रिटिश राजदूत बना दिया गया था ।
और इस साल हज के महीने मे साइमन कॉलिज़ ने इस्लाम कब़ूल कर लिया।
#सुब्हान_अल्लाह

http://www.kohraam.com/international/british-ambassador-embraces-islam-performs-haj-78450.html

Sunday, 11 September 2016

अपने इस्लाम विरोधी अतीत पर मुझे अफसोस है: अनार्ड वॉन डूर्न Dutch Politician Accepts Islam

अपने इस्लाम विरोधी अतीत पर मुझे अफसोस है: अनार्ड वॉन डूर्न Dutch Politician Accepts Islam

क्या ये संभव है कि जीवन भर आप जिस विचारधारा का विरोध करते आए हों एक मोड़ पर आकर आप उसके अनुनायी बन जाएं. कुछ ऐसा ही हुआ है नीदरलैंड में.

अनार्ड वॉन डूर्न

लंबे समय तक इस्लाम की आलोचना करने वाले डच राजनेता अनार्ड वॉन डूर्न ने अब इस्लाम धर्म  कबूल लियाहै. अनार्ड वॉन डूर्न नीदरलैंड की घोर दक्षिणपंथी पार्टी पीवीवी यानि फ्रीडम पार्टी के महत्वपूर्ण सदस्य रह चुके हैं. यह वही पार्टी है जो अपने इस्लाम विरोधी सोच और इसके कुख्यात नेता गिर्टी वाइल्डर्स के लिए जानी जाती रही है.

मगर वो पांच साल पहले की बात थी. इसी साल यानी कि 2013 के मार्च में अर्नाड डूर्न ने इस्लाम धर्म क़बूल करने की घोषणा की.

नीदरलैंड के सांसद गिर्टी वाइल्डर्स ने 2008 में एक इस्लाम विरोधी फ़िल्म 'फ़ितना' बनाई थी. इसके विरोध में पूरे विश्व में तीखी प्रतिक्रियाएं हुईं थीं.

अनार्ड डूर्न जब पीवीवी में शामिल हुए तब पीवीवी एकदम नई पार्टी थी. मुख्यधारा से अलग-थलग थी. इसे खड़ा करना एक चुनौती थी. इस दल की अपार संभावनाओं को देखते हुए अनार्ड ने इसमें शामिल होने का फ़ैसला लिया.

पहले इस्लाम विरोधी थे

अनार्ड, पार्टी के मुसलमानों से जुड़े विवादास्पद विचारों के बारे में जाने जाते थे. तब वे भी इस्लाम विरोधी थे.

वे कहते हैं, "उस समय पश्चिमी यूरोप और नीदरलैंड के बहुत सारे लोगों की तरह ही मेरी सोच भी इस्लाम विरोधी थी. जैसे कि मैं ये सोचता था कि इस्लाम बेहद असहिष्णु है, महिलाओं के साथ ज्यादती करता है, आतंकवाद को बढ़ावा देता है. पूरी दुनिया में इस्लाम के ख़िलाफ़ इस तरह के पूर्वाग्रह प्रचलित हैं."

साल 2008 में जो इस्लाम विरोधी फ़िल्म 'फ़ितना' बनी थी तब अनार्ड ने उसके प्रचार प्रसार में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था.इस फ़िल्म से मुसलमानों की भावनाओं को काफ़ी ठेस पहुंची थी.

वे बताते हैं, "'फ़ितना' पीवीवी ने बनाई थी. मैं तब पीवीवी का सदस्य था. मगर मैं 'फ़ितना' के निर्माण में कहीं से शामिल नहीं था. हां, इसके वितरण और प्रोमोशन की हिस्सा ज़रूर था."

अनार्ड को कहीं से भी इस बात का अंदेशा नहीं हुआ कि ये फ़िल्म लोगों में किसी तरह की नाराज़गी, आक्रोश या तकलीफ़ पैदा करने वाली है.

वे आगे कहते हैं, "अब महसूस होता है कि अनुभव और जानकारी की कमी के कारण मेरे विचार ऐसे थे. आज इसके लिए मैं वाक़ई शर्मिंदा हूं."

सोच कैसे बदली?

नीदरलैंड के सांसद गिर्टी वाइल्डर्स ने 
2008 में इस्लाम की आलोचना करने वाली
एक फ़िल्म बनाई थी.

अनार्ड ने बताया, "जब फ़िल्म 'फ़ितना' बाज़ार में आई तो इसके ख़िलाफ़ बेहद नकारात्मक प्रतिक्रिया हुई. आज मुझे बेहद अफ़सोस हो रहा है कि मैं उस फ़िल्म की मार्केटिंग में शामिल था."

इस्लाम के बारे में अनार्ड के विचार आख़िर कैसे बदलने शुरू हुए.

वे बताते हैं, "ये सब बेहद आहिस्ता-आहिस्ता हुआ. पीवीवी यानि फ़्रीडम पार्टी में रहते हुए आख़िरी कुछ महीनों में मेरे भीतर कुछ शंकाएं उभरने लगी थीं. पीवीवी के विचार इस्लाम के बारे में काफ़ी कट्टर थें, जो भी बातें वे कहते थे वे क़ुरान या किसी किताब से ली गई होती थीं."

इसके बाद दो साल पहले अनार्ड ने पार्टी में अपनी इन आशंकाओं पर सबसे बात भी करनी चाही. पर किसी ने ध्यान नहीं दिया.

तब उन्होंने क़ुरान पढ़ना शुरू किया. यही नहीं, मुसलमानों की परंपरा और संस्कृति के बारे में भी जानकारियां जुटाने लगें.

मस्जिद पहुंचे

अनार्ड वॉन डूर्न इस्लाम विरोध से इस्लाम क़बूल करने तक के सफ़र के बारे में कहते हैं, "मैं अपने एक सहयोगी से इस्लाम और क़ुरान के बारे में हमेशा पूछा करता था. वे बहुत कुछ जानते थे, मगर सब कुछ नहीं. इसलिए उन्होंने मुझे मस्जिद जाकर ईमाम से बात करने की सलाह दी."

उन्होंने बताया, "पीवीवी पार्टी की पृष्ठभूमि से होने के कारण मैं वहां जाने से डर रहा था. फिर भी गया. हम वहां आधा घंटे के लिए गए थे, मगर चार-पांच घंटे बात करते रहे."

अनार्ड ने इस्लाम के बारे में अपने ज़ेहन में जो तस्वीर खींच रखी थी, मस्जिद जाने और वहां इमाम से बात करने के बाद उन्हें जो पता चला वो उस तस्वीर से अलहदा था.

वे जब ईमाम से मिले तो उनके दोस्ताने रवैये से बेहद चकित रह गए. उनका व्यवहार खुला था. यह उनके लिए बेहद अहम पड़ाव साबित हुआ. इस मुलाक़ात ने उन्हें इस्लाम को और जानने के लिए प्रोत्साहित किया.

वॉन डूर्न के मस्जिद जाने और इस्लाम के बारे में जानने की बात फ़्रीडम पार्टी के उनके सहयोगियों को पसंद नहीं आई. वे चाहते थे कि वे वही सोचें और जानें जो पार्टी सोचती और बताती है.

अंततः इस्लाम क़बूल लिया

मगर इस्लाम के बारे में जानना एक बात है और इस्लाम धर्म क़बूल कर लेना दूसरी बात.

पहले पहले अर्नाड के दिमाग़ में इस्लाम धर्म क़बूल करने की बात नहीं थी. उनका बस एक ही उद्देश्य था, इस्लाम के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना. साथ ही वे ये भी जानना चाहते थे कि जिन पूर्वाग्रहों के बारे में लोग बात करते हैं, वह सही है या यूं ही उड़ाई हुई. इन सबमें उन्हें साल-डेढ़ साल लग गए. अंत में वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि इस्लाम की जड़ें दोस्ताना और सूझ बूझ से भरी हैं. इस्लाम के बारे में ख़ूब पढने, बातें करने और जानकारियां मिलने के बाद अंततः उन्होंने अपना धर्म बदल लिया.

अनार्ड के इस्लाम क़बूलने के बाद बेहद मुश्किलों से गुज़रना पड़ा. वे कहते हैं, "मुझ पर फ़ैसला बदलने के लिए काफ़ी दबाव डाले गए. अब मुझे ये समझ में आ रहा था कि मेरे देश नीदरलैंड में लोगों के विचार और सूचनाएं कितनी ग़लत हैं."

परिवार और दोस्तों को झटका

परिवार वाले और दोस्त मेरे फ़ैसले से अचंभित रह गए. मेरे इस सफ़र के बारे में केवल मां और गर्लफ्रेंड को पता था. दूसरों को इसकी कोई जानकारी नहीं थे. इसलिए उन्हें अनार्ड के मुसलमान बन जाने से झटका लगा.

कुछ लोगों को ये पब्लिसिटी स्टंट लगा, तो कुछ को मज़ाक़. अनार्ड कहते हैं कि अगर ये पब्लिसिटी स्टंट होता तो दो-तीन महीने में ख़त्म हो गया होता.

वे कहते हैं, "मैं बेहद धनी और भौतिकवादी सोच वाले परिवार से हूं. मुझे हमेशा अपने भीतर एक ख़ालीपन महसूस होता था. मुस्लिम युवक के रूप में अब मैं ख़ुद को एक संपूर्ण इंसान महसूस करने लगा हूं. वो ख़ालीपन भर गया है." 

(बीबीसी से बातचीत पर आधारित)
http://www.bbc.co.uk/hindi/international/2013/11/131111_dutch_politician_islam_sk.shtml

Thursday, 8 September 2016

अज़ान की आवाज़ मेरे दिल में बस गई – प्रियंका चोपड़ा

जीत लिया था प्रियंका का दिल

प्रकाश झा निर्देशित और प्रियंका चोपड़ा स्टारर फिल्म जय हो गंगाजल का ट्रेलर मंगलवार को रिलीज हुआ. इस फिल्म की अधिकांश शूटिंग मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में हुई है. न्यूज 18 इस मौके पर प्रियंका की शूटिंग से जुड़े खास अनुभव को शेयर कर रहा है.

पहली बार शूटिंग के सिलसिले में भोपाल पहुंची प्रियंका यहां की खूबसूरती की कायल हो गई थीं. प्रियंका का कहना है कि वो भोपाल आई तो थी प्रियंका चोपड़ा बनकर लेकिन लौट रही है प्रियंका भोपाली बनकर.

प्रियंका चोपड़ा का दिल भोपाल की अजान ने जीत लिया था. भोपाल की मस्जिदों से शाम के वक्त आने वाली अजान की आवाज प्रियंका के दिल में बस गई हैं.

कट्टरपंथी नाज़ी और इस्लाम धर्म का जमकर विरोध करने वाले ‘वेर्नीयर क्लावन’ ने स्वीकार किया इस्लाम धर्म

Former Pro-Nazi Islamophobe German MP Werner Klawun converts to Islam
जर्मनी : कट्टरपंथी नाज़ी और इस्लाम धर्म का जमकर विरोध करने वाले ‘वेर्नीयर क्लावन’ ने स्वीकार किया इस्लाम धर्म
In an interview with the German newspaper Bild, Werner who changed his name to Ibrahim said he wanted to know more about Islam after reading the Eastern Divan and poems of the great German poet Johann Wolfgang von Goethe praising Prophet Muhammad (peace be upon him). That led him to read the German translation of the Quran and ultimately accept Islam.

Goes to show even the enemies can one day become guided once they are exposed to the unbiased truth
पवित्र क़ुरआन की आयत है कि ईश्वर जिसको चाहता है उसका मार्ग दर्शन करता है। यह बात जर्मनी के एक नागरिक पर सच्ची उतरती है और ईश्वर की एक कृपा दृष्टि उनके लोक परलोक को ही बदल कर रख दिया।
जर्मनी के शहरी वेर्नीयर क्लावन इस्लाम धर्म स्वीकार करने से पहले तक बहुत कट्टर नाज़ी थे और इस्लाम धर्म का जमकर विरोध किया करते थे किन्तु ईश्वर की कृपा दृष्टि वेर्नीयर पर पड़ी और उनका सब कुछ बदल गया। पहले जो हाथ इस्लाम के विरुद्ध नारे लगाने और लोगों को इस्लाम के विरुद्ध उकसाने में उठते थे अब वही हाथ ईश्वर की उपासना में उठने लगे और अब वह पांचों समय की नमाज़ मस्जिद में जाकर अदा करते हैं।
उनके भीतर यह बदलाव पवित्र क़ुरआन की तिलावत से पैदा हुआ है।
वह पवित्र क़ुरआन की तिलावत के बारे में कहते हैं कि जब उन्होंने जर्मनी के महान शायर जोहान वुल्फ़गांग के लिखे दिवान और उनके शेर पढ़े जिसमें जोहान ने पैग़म्बरे इस्लाम की बहुत अधिक प्रशंसा की है तो उनके दिल में इस्लाम को अधिक और निकट से जानने की इच्छा पैदा हुई।
पवित्र क़ुरआन पढ़ने के बाद उनकी समझ में आया कि दुनिया और जीवन का जो रहस्य क़ुरआन ने बयान किया है और जिस प्रकार मानवीय मुद्दों को उसने बयान किया है वैसा किसी भी धार्मिक ग्रंथ में बयान नहीं किया गया है। इसी से प्रभावित होकर उन्होंने इस्लाम धर्म को गले लगा लिया और सीरिया, इराक़ और अफ़ग़ानिस्तान से जाने वाले शरणार्थियों की सेवा करते हैं।