मॉडल और एक्ट्रेस एलीजा किम मुसलमान हो गयी
Model / actress Aliza Kim revert to islam
https://www.facebook.com/notes/aliza-kim/the-truth-that-found-me-why-i-accepted-islam/641091745955586/
नव मुस्लिम Dawa Queen सेल्फी की शौकीन एलीजा किम फेसबुक पर एक्टिव रहती हैं एजीला अपने फेसबुक नोट में बताती हैं कि "मैं ईसाई थी, धार्मिक ईसाई परिवार से संबंध है और अमेरिकी समाज के हिसाब से अच्छी धार्मिक लड़की थी। ईसाई ऐसा बहुत कुछ कर सकते हैं जो मुसलमान नहीं कर सकते तो इस्लाम से पहले मेरा काम कुछ गैर इस्लामी था, अमेरिकी मॉडल और एक्ट्रेस थी, लेकिन पार्टियों में जाना और बुरा काम करने वाली नहीं थी। मुझे हमेशा से भगवान के अस्तित्व पर विश्वास था और इबादत में डूबी रहने वाली ईसाई थी, लेकिन मुझे हमेशा किसी ऐसी चीज़ की तलाश थी जो अधिक पवित्रता, अधिक प्राकृतिक सत्य हो। जीवन के संकट ने मुझे जीवन के उद्देश्य की खोज के लिए मजबूर किया, ईसाई धर्म में ही सच्चे धर्म की खोज की लेकिन न मिल सकी।
''अमेरीका में पैदा हुयी एलीजा ने भविष्य बनाने के लिए बाधाओं के बावजूद, स्कूल में उत्कृष्ट प्रदर्शन से शैक्षणिक छात्रवृत्ति जीती, अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र में डबल स्नातक डिग्री और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की। बचपन से शिक्षा में बहुत दिलचस्पी थी सो धार्मिक दिलचस्पी के कारण इस विषय पर भी रिसर्च (अनुसंधान) किया। बाइबिल और ईसाई धर्म के बारे में ऐतिहासिक पुस्तकें पढ़ना शुरू किया। दर्जन से अधिक देशों की यात्रा कर चुकी अलिज़ा किम को बाइबिल के प्राचीन नुस्खों में इतनी रुचि हुई कि आखिर मैं हज़रत इसा मसीह की भाषा आरामि (इब्रानी) भी सीख डाली और आखिरकार यह जाना कि बाइबल को अंग्रेजी अनुवादों में कितना विकृत किया गया। जब ईसाई थी तब भी मुझे विश्वास था कि Trinity पवित्र त्रिदेव का विश्वास जो ईसाई धर्म का महत्वपूर्ण हिस्सा है सही नहीं (अर्थात "एक में तीन" और "तीन में एक"। ईसाई ईश्वर को एक ही मानते में मगर एक में तीन हस्तियों को शामिल करते हैं।) ईश्वर और मसीह अलैहिस्सलाम दो अलग हस्तियां हैं। यीशु का सूली पर चढ़ाया चढ़ाया जाना एक दूसरा ऐसा मुद्दा था जिस पर मैं ईसाई धर्म से सहमत नहीं थी।
मलेशिया में सेटल होने के बाद ईसाई धर्म के बाद मैं दूसरे धर्मों को देखा, इस्लाम के बारे में मुझे पता था कि यह भी इब्राहीम धर्मों abrahamic religions के अंतर्गत आता है इसी बात ने मुझे इसके अध्ययन की इच्छा हुई और मैंने इसे पढ़ना शुरू किया, बिना रूके पढती गयी, अंततः अल्हम्दु लिल्लाह ईश्वर की सच्चाई इस्लाम में मिली जिसकी मुझे तलाश थी। अल्लाह की नवाज़िश है कि मैं ऐसे घर में पली थी जहां लोगों से नफरत करना सिखाया नहीं गया था, न ही सब कुछ नकारात्मक दृष्टि से देखने के लिए प्रशिक्षित किया गया इसीलिए इस्लाम के बारे में वैसा नहीं सोचती थी जैसा अमेरिकी मीडिया दिखाता है । इस्लाम स्वीकार करने के बाद मैं कह सकती हूँ कि इस्लाम कितना शांतिप्रिय, सकारात्मक और सुखद धर्म है और हर मामले में दूसरे हर धर्म से अच्छा है। मुझे हमेशा से एक संगठित Organized जीना पसंद था, जीवन की हर चीज में मनमानी नहीं करना चाहती थी, यह दर्शन गलत है क्योंकि हो सकता है आप कुछ गलत करना चाहें सो मुझे रोक टोक बुरी नहीं लगती, यह जीवन को दिशा देती है, इस्लाम लाकर पांच नमाज़ें पढ़ना एक चुनौती थी, जो मनुष्य आदी न हो इसके लिए यह मुश्किल होगा, अरबी भाषा में नमाज़ याद करना मेरे लिए बहुत मुश्किल था, लेकिन अल्हम्दु लिल्लाह यह सब खुशी खुशी किया, यह सब मुझे बहुत सकून देता है, क्योंकि मुझे पहले ही अल्लाह की इबादत का शौक था और यह याद रखना कि यह सब मुझे अल्लाह का प्यार देगा इससे बढ़कर क्या होगा? मझे नमाज़ का समय बहुत खुशी देता है क्योंकि यह अल्लाह से मिलने का समय है। मुझे इस्लामी कपड़े और हिजाब में भी कोई समस्या नहीं हुई, वास्तव में मैं खुद को ढांपना पसंद है, इस्लाम से पहले भी मेरी माँ मुझे लंबी आस्तीन और लंबे पाजामे में ही देखना पसंद करती थीं, तो मैं इस समय भी काफी बेबाक नहीं थी। हिजाब आपको अपने पर भरोसा देता है, इस्लाम लाने के बाद घर से निकलते समय यह सवाल आपके सामने नहीं होते कि आप कैसे सटाइलश लग रहे हैं लेकिन यह विचार होता है कि अल्लाह आप से खुश है या नहीं? यह एक बिल्कुल अलग प्रकार के भावनाओं की दुनिया है। और यह सब आप याद दिलाता है कि जीवन का एक उद्देश्य है आप यहाँ इसलिए हैं कि अल्लाह को खुश कर सकें, ताकि जब तुम परीक्षा अच्छी तरह पास करके भविष्य की दुनिया में जाएं तो आप के पास सब कुछ हो।मॉडलिंग और एक्टिंग कैरियर में लोगों की इच्छा का ख्याल रखना पड़ता है, सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीर पेश करते हुए में सोचती थी क्या लोगों को ये तस्वीर अच्छी लगेगी? और जितने लोग इस फोटो को लाइक / पसंद करेंगे। उसकी चिंता होती। क्योंकि इस पेशे में हर काम लोगों की इच्छा से करना पड़ता है। हिजाब के बाद मुझे खुशी इस बात की है कि लोग मेरे ज्ञान, बुद्धि और प्रतिक्रिया के आधार पर मुझे सराहते हैं न कि मेरी शक्ल व सूरत या बाहरी हुसन के आधार पर। जब भी इस्लाम के किसी भी आदेश का पालन कर लेती हूँ तो एक मीठा सा एहसास होता है कि अल्लाह की रजा हासिल कर रही हूँ और यह एहसास बहुत प्यारा है, यह बहुत ही प्यारा एहसास है।
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